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Wednesday, January 19, 2011

निम्न सूत्रों को याद रखो

विषय Content : यह प्रस्तुति का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग होता है। तथ्यों, आँकड़ों, परिपत्रों और चित्रों का अधिकतम प्रभाव पडता है।

आंखे Eyes : ध्यान रखें कि आपकी आंखे श्रोताओं कि आंखों से बाहर ना जाए। उनकी आंखों में झाकें और अपनी बात कहें। दूसरा बिन्दु दूसरे व्यक्ति आंखों में आंखे डाल कर कहें। आप श्रोताओं को पैरों से सिर तक देख सकते है, उससे बाहर नही। नीचे कभी मत देखो, जिससे उन्हे ऐसा न लगे कि आप अपनी बात करने के लिए कुछ सोच रहे है।

हाथ Hand : अपने हाथों में ऐसी कोई वस्तु न पहने, न पकडे अथवा न रखे, जो श्रोताओं का ध्यान आपकी आंखों अथवा चेहरे से हटाएं। जो बात कहे उसी पर जोर दे। आपके नजदीक कोई संगीत अथवा शोर नही होना चाहिए।

स्थिति Stance : अपनी बात और भाव भंगिमा Stance and Gestures को समान्तर रखें। शरीर को आवश्यकतानुसार आगे - पीछे, दाएं - बाएं झुकाए। बैठ कर बोलना पडे तो अपनी टांगों को क्रास ना करें। ऐसी स्तिथि मे बैठे कि आप आराम महसूस करे।

वाणी Volume and Inflection : साधारण बातचीत के स्वर से थोडा अधिक ऊँचा स्वर रखें, परन्तु चिल्लाएं नही। Volume and Inflection में तारतम्य बनए रखना आवश्यक है।

आत्म विश्वास Confidence : जो बात हम कह रहे है, उस पर हमारा विश्वास होना आवश्यक है। भाषण के Non-verbal elements जो आपकी कुशलता से उत्पन्न होते है, वे आत्म विश्वास की झलक होते है। आत्म विश्वास, हमारे ज्ञान और कुशलता का झरना होता है।

गति Pace : जितना अधिक अभ्यास किया जाता है और जितना अधिक विषय वस्तु को जाना जायेगा, उतना ही अधिक हम अपनी बोलने की गति पर नियंत्रण रख सकते है। लेकिन अधिक ज्ञान परन्तु कम अभ्यास श्रोताओं को निराश कर सकता है। अभ्यास ज्ञान को समझने में सबसे बडा सहायक है।

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